
Krishna Quotes in Hindi: Timeless Wisdom on Life, Karma, and Devotion
भगवानश्रीकृष्ण, जोकिभारतीयधर्मऔरदर्शनकेमहानतमआचार्यहैं, नेजीवन, धर्म, कर्म, भक्तिऔरयोगकेविषयमेंगहरेज्ञानदिएहैं।उनकाज्ञाननकेवलधार्मिकयाआध्यात्मिकसंदर्भमें, बल्किहमारेजीवनकेहरपहलूमेंप्रासंगिकहै।श्रीकृष्णकेउद्धरणजीवनकोसहीदिशामेंचलनेकेलिएप्रेरितकरतेहैंऔरहमेंसंघर्षोंऔरपरेशानियोंकासहीसमाधानदिखातेहैं।
इसब्लॉगमें, हमश्रीकृष्णकेकुछप्रसिद्धऔरअनमोलउद्धरणोंपरचर्चाकरेंगे, जोहमेंजीवनकीसच्चीसमझदेतेहैंऔरहमारेजीवनकोआंतरिकशांतिऔरसंतुलनसेभरसकतेहैं।
By: Book My Pooja
1. कर्मकेमहत्वपरश्रीकृष्णकाउद्धरण:
भगवानश्रीकृष्णनेभगवदगीतामेंकर्मऔरउसकेफलकेबारेमेंबहुतमहत्वपूर्णउपदेशदिएहैं।उनकेअनुसार, कर्महीहमाराधर्महै, औरइसकेपरिणामोंसेहममुक्तहोसकतेहैंयदिहमइसेनिःस्वार्थभावसेकरें।
उद्धरण:
"कर्मण्येवाधिकारस्तेमाफलेषुकदाचन।
माकर्मफलहेतुर्भूर्मातेसङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥"
(भगवदगीता 2.47)
व्याख्या:
इसउद्धरणमेंश्रीकृष्णनेकहाहैकिहमेंअपनेकर्मकरनेकाअधिकारहै, लेकिनउनकेफलपरकोईअधिकारनहींहै।हमेंअपनेकर्मनिःस्वार्थभावसेकरनेचाहिए, औरउनकेपरिणामोंकेबारेमेंचिंतितनहींहोनाचाहिए।यदिहमकर्मकरतेहुएफलकीअपेक्षाछोड़देतेहैं, तोहममानसिकशांतिऔरसंतुलनपासकतेहैं।
2. योगऔरभक्तिपरश्रीकृष्णकाउद्धरण:
भगवानश्रीकृष्णनेहमेंयोगऔरभक्तिकेमाध्यमसेआत्मज्ञानऔरभगवानसेमिलनकीदिशादिखाईहै।उनकायहसंदेशथाकियदिव्यक्तिअपनेहृदयकोशुद्धकरेऔरभगवानकेप्रतिभक्तिभावसेकार्यकरे, तोवहवास्तविकसुखऔरशांतिप्राप्तकरसकताहै।
उद्धरण:
"योग: कर्मसुकौशलम्"
(भगवदगीता 2.50)
व्याख्या:
श्रीकृष्णनेकहाकियोगकाअर्थसिर्फआसनयाध्याननहींहै, बल्कियहहमारेकर्मोंमेंकुशलता (कौशल) लानेकातरीकाहै।हमेंअपनेसभीकार्योंमेंसहीदृष्टिकोणऔरसमर्पणकेसाथकामकरनाचाहिए।जबहमअपनेकार्योंकोभक्तिऔरयोगकेसाथकरतेहैं, तोहमजीवनमेंशांतिऔरसंतुष्टिप्राप्तकरतेहैं।
3. भक्तिऔरईश्वरकीप्राप्तिपरश्रीकृष्णकाउद्धरण:
श्रीकृष्णनेकहाकिजोव्यक्तिशुद्धहृदयसेभगवानकीभक्तिकरताहै, उसेकिसीभीप्रकारकीअसफलतानहींमिलती।भगवानउसकेदिलकेभावनाओंकोसमझतेहैंऔरउसेअपनीअनंतकृपासेआशीर्वाददेतेहैं।
उद्धरण:
"मय्येवमनआधत्स्वमयिबुद्धिंविधायच।
नैवाशिशंसिसाधूनांकर्ममयिनिवर्तते॥"
(भगवदगीता 9.22)
व्याख्या:
यहउद्धरणहमेंयहसिखाताहैकिजबहमभगवानमेंअपनीपूरीश्रद्धाऔरविश्वासकेसाथसमर्पणकरतेहैं, तोभगवानहमारीरक्षाकरतेहैंऔरहमारीसभीपरेशानियोंकोदूरकरतेहैं।उन्हेंहमाराहरभावऔरभावनास्पष्टरूपसेसमझमेंआताहै, औरवहहमेंअपनीकृपासेबचातेहैं।
4. समयऔरसंसारकेप्रतिभगवानश्रीकृष्णकीदृष्टि:
श्रीकृष्णनेयहभीबतायाकिजीवनमेंकुछभीस्थायीनहींहै, औरहमेंसमयकीमहिमाऔरसंसारकीनश्वरताकोसमझनाचाहिए।हमजोकुछभीकरतेहैं, वहसमयकेप्रवाहकेसाथबदलतारहताहै, औरयहीकारणहैकिहमेंनतोअपनेअच्छेसमयमेंअहंकारकरनाचाहिएऔरनहीबुरेसमयमेंनिराशहोनाचाहिए।
उद्धरण:
"कालोऽस्मिलोकक्षयकृत््परस्त्रः।
लोकेऽस्मिन्यश्चयश्चचेत्त्राणंप्राज्ञंतुसृणोति॥"
(भगवदगीता 11.32)
व्याख्या:
श्रीकृष्णनेसमयकोअपनेरूपमेंप्रस्तुतकियाहै।वहसमयकेनिर्माताऔरनाशकहैं, जोकिसभीकार्योंकोअंततःसमाप्तकरदेतेहैं।हमेंसमयकेसाथसमायोजितहोकरकार्यकरनाचाहिएऔरअहंकारयानिराशासेबचनाचाहिए।
5. सच्चीखुशीऔरआत्मनिर्भरतापरश्रीकृष्णकाउद्धरण:
श्रीकृष्णकेअनुसार, सच्चीखुशीबाहरीचीजोंसेनहींमिलती, बल्कियहहमारेभीतरसेनिकलतीहै।जबहमअपनेआपकोजाननेऔरसमझनेकाप्रयासकरतेहैं, तोहमभीतरसेसंतुष्टहोसकतेहैं।किसीभीबाहरीपरिस्थितिसेहमारीखुशीप्रभावितनहींहोनीचाहिए।
उद्धरण:
"शरीरवांगमनोभिर्यत्कर्मप्रारभतेनर:।
न्याय्यंनाश्र्चत्यंतस्यात्मनंतिमहान्वयात्॥"
(भगवदगीता 3.16)
व्याख्या:
यहउद्धरणहमेंयहसिखाताहैकिहमजोकर्मकरतेहैं, वहहमारेशरीर, मनऔरवाणीसेजुड़ेहोतेहैं।यदिहमअपनेकर्मोंकोसहीतरीकेसेकरतेहैंऔरअपनेआत्मविश्वासकोमजबूतरखतेहैं, तोहमेंसच्चीखुशीऔरसंतुष्टिमिलतीहै।
6. ध्यानऔरआत्म-ज्ञानपरश्रीकृष्णकाउद्धरण:
भगवानश्रीकृष्णनेध्यानऔरआत्म-ज्ञानकेमाध्यमसेभगवानकेसाथएकात्मताकीमहत्वताकोबताया।जबव्यक्तिआत्माकेवास्तविकस्वरूपकोसमझताहै, तोवहब्रह्मायापरमात्माकेसाथएकहोजाताहै।
उद्धरण:
"योगितुआत्मिवेत्त्रमान्यंसर्वत्रसंयोजयेत्।
मध्यमत्यंधन्यंमहाजनंचशेषासन्॥"
(भगवदगीता 6.5)
व्याख्या:
यहउद्धरणबताताहैकिजोव्यक्तिअपनेआत्माकेज्ञानकोसमझताहैऔरब्रह्माकेसाथएकहोजाताहै, वहसच्चेयोगीकेरूपमेंपूजाजाताहै।आत्म-ज्ञानकीप्राप्तिहमेंब्रह्मायापरमात्माकेकरीबलेजातीहै, औरयहहमेंशांतिऔरसंतुष्टिप्रदानकरतीहै।
निष्कर्ष:
भगवानश्रीकृष्णकेउद्धरणजीवनकेसभीपहलुओंकोसहीदिशामेंमार्गदर्शनकरनेकेलिएअत्यंतप्रभावशालीहैं।चाहेवहकर्मकामहत्वहो, भक्तिकारास्ताहो, यासमयऔरसंसारकीसमझहो, श्रीकृष्णकेशब्दहमेंजीवनमेंसंतुलनऔरशांतिप्राप्तकरनेकेलिएप्रेरितकरतेहैं।हमेंउनकेइनशिक्षाओंकोअपनाकरअपनेजीवनकोसच्चेअर्थोंमेंसुखमयऔरसमृद्धबनानाचाहिए।
"कर्मकरो, लेकिनफलकीचिंतामतकरो।भगवानपरविश्वासरखो, वहहमेंसहीमार्गदिखाएंगे।"