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दुर्गा कवच | Durga Kavach in Hindi

दुर्गा कवच | Durga Kavach in Hindi

दुर्गाकवच ("कवच" अर्थात रक्षा कवच) देवी दुर्गा का एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को सभी प्रकार के भय, संकट, शत्रुओं और रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसका पाठ करने से साधक को देवी दुर्गा की अद्भुत कृपा प्राप्त होती है और वह निडर होकर अपने जीवन के सभी संघर्षों का सामना कर सकता है।

महत्वपूर्णसूचना:

"यहाँपरदुर्गाकवचकेकुछप्रमुखश्लोकप्रस्तुतकिएगएहैं।संपूर्णदुर्गाकवच 'देवीमहात्म्य' (चंडीपाठ) केप्रथमअध्यायमेंआताहै, जिसेविधिपूर्वकपढ़ाजाताहै।यदिआपसम्पूर्णपाठकरनाचाहतेहैंतोअनुभवीआचार्ययापंडितजीकेमार्गदर्शनमेंकरें।"

By Team BookMyPooja

दुर्गा कवच का इतिहास

दुर्गा कवच का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण के देवी महात्म्य (चण्डी पाठ) में मिलता है। यह देवी सप्तशती के आरंभ में आता है। महर्षि मार्कण्डेय ने यह शक्तिशाली कवच देवताओं के अनुरोध पर प्रकट किया ताकि वे असुरों से रक्षा कर सकें।

कहा जाता है कि दुर्गा कवच का पाठ करने से साधक एक अदृश्य दिव्य कवच धारण कर लेता है, जो उसे दुष्ट शक्तियों और अपशकुनों से बचाता है।

दुर्गा कवच का महत्व

  • सर्वरोग नाशक: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • शत्रु नाशक: शत्रुओं और षड्यंत्रों से रक्षा होती है।
  • भय से मुक्ति: साधक निर्भीक और साहसी बनता है।
  • रोग, दरिद्रता, अकाल मृत्यु से रक्षा: दीर्घायु और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • दुर्घटनाओं से बचाव: यात्रा में, युद्ध में, कार्यों में सुरक्षा मिलती है।
  • मनोकामना पूर्ति: साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

दुर्गाकवचहिंदीमें | Durga Kavach in Hindi (संक्षिप्त)

॥श्रीदुर्गाकवच॥

ॐ नमश्चण्डिकायै।
मार्कण्डेय उवाच —
ॐ यथाग्निनाऽहिकणं दह्यते सम्यगसंशयम्।
तथैव पापं नश्येत्त्रं संश्रुतं श्रुतिसत्तमैः॥

देवानां कार्यसिद्ध्यर्थं सभासद्भिः समन्वितः।
शिवः प्रोक्तवान् कवचं पुण्यं सर्वरक्षाकरं नृणाम्॥

शृणुध्वं मुनयः सर्वे कवचं परमाद्भुतम्।
येन मन्त्रैः प्रपुञ्यैश्च त्रैलोक्ये विजयी भवेत्॥

ध्यायेदाजानुबाहुं च सुरासुरनमस्कृतम्।
सर्वाभरणयुक्ताङ्गं शशिशेखरमम्बिकाम्॥

॥कवचप्रारंभ॥

ॐ मे शिरः पातु दुर्गा, श्री दुर्गा पातु लोचनम्।
दुर्गा मे पातु कर्णौ च, दुर्गा मे पातु नासिकाम्॥

दुर्गा मे पातु वक्त्रं च, दुर्गा मे पातु जिव्हिकाम्।
दुर्गा मे पातु ग्रीवां च, दुर्गा मे पातु बाहुकम्॥

दुर्गा मे पातु हृदयं, दुर्गा मे पातु नाभिकम्।
दुर्गा मे पातु कटिं च, दुर्गा मे पातु ऊरुकम्॥

दुर्गा मे पातु जानुनी, दुर्गा मे पातु जंघिकम्।
दुर्गा मे पातु पादौ च, सर्वाङ्गे सर्वदा मम॥

(यहकेवलसंक्षिप्तश्लोकहैं।सम्पूर्णपाठबहुतविस्तृतहै।)

दुर्गाकवचपाठविधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके माँ दुर्गा का चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
  3. पहले देवी का ध्यान करें और प्रणाम करें।
  4. फिर श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक दुर्गा कवच का पाठ करें।
  5. पाठ के बाद माँ दुर्गा से अपने भय, रोग, संकट से मुक्ति की प्रार्थना करें।

दुर्गाकवचकापाठकबकरनाचाहिए?

  • प्रतिदिन प्रातःकाल पाठ करना अत्यंत शुभ है।
  • विशेषकर नवरात्रि, मंगलवार और शुक्रवार के दिन इसका पाठ करना अति फलदायक माना जाता है।
  • जब जीवन में कोई बड़ा संकट या भय हो तब दुर्गा कवच का नित्य पाठ करना चाहिए।

दुर्गाकवचकेलाभ

  • जीवन में आने वाली हर तरह की बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
  • मानसिक और शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
  • साधक को अदृश्य रूप से माँ दुर्गा की कृपा का कवच प्राप्त होता है।
  • सफलता, समृद्धि और आनंद प्राप्त होता है।
  • बुरी नजर, जादू-टोने से रक्षा होती है।

दुर्गाकवचसेजुड़ेकुछविशेषमंत्र

  • ॐदुंदुर्गायैनमः
  • ॐऐंह्रींक्लींचामुण्डायैविच्चे
  • श्रीदुर्गासप्तशतीपाठ भी दुर्गा कवच के साथ किया जाता है, जिससे साधना और अधिक प्रभावशाली बनती है।

निष्कर्ष

दुर्गाकवच केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि एक दिव्य कवच है जो साधक को सम्पूर्ण जीवन की सुरक्षा प्रदान करता है। माँ दुर्गा की कृपा से हम सभी प्रकार की बाधाओं, रोगों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

आइए, हम नित्य श्रद्धा और विश्वास के साथ दुर्गा कवच का पाठ करें और माँ दुर्गा के चरणों में अपना जीवन समर्पित करें। माँ दुर्गा हम सभी की रक्षा करें और हमें जीवन में सफलता, सुख और शांति प्रदान करें।

जयमातादी!

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