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Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | भगवद गीता के श्लोक संस्कृत में

Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | भगवद गीता के श्लोक संस्कृत में

परिचय:
भगवद गीता न केवल एक पवित्र ग्रंथ है, बल्कि जीवन का गहन मार्गदर्शन भी है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म और भक्ति के गूढ़ रहस्यों को समझाया है। संस्कृत श्लोकों का अपना एक विशेष महत्व है क्योंकि इनमें गहन ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति संचित है।

By Team BookMyPooja

भगवदगीताकेप्रसिद्धश्लोकसंस्कृतमें

1. कर्मकामहत्व:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(अध्याय 2, श्लोक 47)

(अर्थ: तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में नहीं। इसलिए कर्मफल की इच्छा मत कर, न ही अकर्मण्यता में आसक्त हो।)

2. आत्माकाअमरत्व:
न जायते म्रियते वा कदाचि-
न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
(अध्याय 2, श्लोक 20)

(अर्थ: आत्मा कभी जन्म नहीं लेती और न मरती है। यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है।)

3. समत्वकासन्देश:
समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्।
विनश्यत्स्वविनश्यन्तं यः पश्यति स पश्यति॥
(अध्याय 13, श्लोक 27)

(अर्थ: जो परमेश्वर को सब जीवों में समान भाव से स्थित देखता है, वही वास्तव में देखता है।)

4. भक्तियोग:
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः॥
(अध्याय 9, श्लोक 26)

(अर्थ: जो भक्तिपूर्वक मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल अर्पित करता है, उसे मैं प्रेमपूर्वक स्वीकार करता हूँ।)

5. योगकारहस्य:
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनंजय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
(अध्याय 2, श्लोक 48)

(अर्थ: अर्जुन! योग में स्थित होकर, आसक्ति को त्याग कर, सफलता और असफलता में समान भाव रखते हुए कर्म कर।)

भगवदगीताकामहत्व

  • जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन
  • मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करना
  • सच्चे धर्म और कर्तव्य की पहचान
  • अध्यात्मिक उन्नति की राह

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