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सांवरिया सेठ मंदिर: दर्शन, इतिहास, महत्व और यात्रा मार्ग

राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित सांवरियासेठमंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ भगवान कृष्ण को “सांवरिया सेठ” के रूप में पूजाया जाता है, जिसका अर्थ है काले रंग के देवता। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि व्यवसायियों और सामान्य श्रद्धालुओं के लिए समृद्धि, सफलताऔरदैवीयआशीर्वाद का प्रतीक भी माना जाता है।

सांवरिया सेठ मंदिर की यात्रा करने वाले भक्त प्रार्थना, ध्यान और पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से आते हैं। अगर आप व्यक्तिगत रूप से दर्शन नहीं कर सकते, तो ऑनलाइनपूजाबुकिंग के माध्यम से भी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

By Team BookMyPooja

सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास

सांवरिया सेठ मंदिर की स्थापना 1840 में मड़फिया गाँव में हुई थी। किंवदंतियों के अनुसार, भोलाराम गूजर नामक एक दूधवाले को सपने में तीन दिव्य मूर्तियों का दर्शन हुआ। उन्होंने जब भूमि खोदी तो वही मूर्तियाँ मिलीं, जिनमें से मड़फिया की मूर्ति आज सांवरिया सेठ मंदिर में विराजमान है।

  • 1840: मूर्ति की स्थापना और मंदिर का प्रारंभिक निर्माण
  • 1930: मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार
  • 1960: मंदिर की लोकप्रियता में वृद्धि
  • 1992: मंदिर प्रबंधन के लिए ट्रस्ट का गठन
  • 2000 के बाद: भक्तों की भारी भीड़ और तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता

यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने व्यापार, धन और जीवन में सफलता की कामना करते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त यहाँ खाली हाथ आता है, उसे भगवान के आशीर्वाद से भर देते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थानी स्थापत्य शैली में निर्मित है और इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:

  • शिखर और गुंबद: मुख्य गर्भगृह के ऊपर स्थित और दूर से दिखाई देने वाले।
  • स्तंभित गलियारे: विशाल गलियारे भक्तों के आवागमन के लिए।
  • अत्यंत नक्काशी: दीवारों, स्तंभों और छत पर हिंदू पौराणिक कथाओं की झलक।
  • आंगन: प्रांगण में अनुष्ठान और धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं।
  • इन्नर सैंक्टम: जहाँ मुख्य देवता सांवरिया सेठ विराजमान हैं, फूल और मालाओं से सजाया जाता है।

मंदिर का आकर्षण न केवल धार्मिक आस्था में है बल्कि स्थापत्य कला के प्रेमियों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत है।

पूजा और आरती

  • प्रातः आरती: 5:00 AM – 12:00 PM
  • राजभोग, प्रसाद: 10:00 AM – 11:15 AM
  • सायंकालीन आरती: 8:00 PM – 9:15 PM
  • भजन और कीर्तन: 9:15 PM – 11:00 PM
  • शयन आरती: 11:00 PM

सुझाव: भीड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी दर्शन करें। पूजा सामग्री के लिए आप पंडित जी ऑनलाइन बुक कर सकते हैं

धार्मिक महत्व

सांवरिया सेठ मंदिर:

  1. इच्छाएँ पूरी करना: भक्तों की प्रार्थनाएँ, चाहे धन, स्वास्थ्य या जीवन की समस्याएँ हों, पूर्ण होती हैं।
  2. कृष्ण के प्रेम का प्रतीक: भगवान कृष्ण का अवतार प्रेम और सहानुभूति का संदेश देता है।
  3. व्यापारियों के लिए शुभ: इसे “सेठों का सेठ” भी कहा जाता है।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र: भव्य आयोजन और उत्सव यहाँ समाज और संस्कृति को जोड़ते हैं।
  5. किंवदंतियाँ और चमत्कार: भक्तों के अनुभव बताते हैं कि यहाँ आने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

प्रमुख त्योहार और समारोह

  • सांवलिया सेठ जयंती: भगवान कृष्ण के पृथ्वी आगमन का उत्सव।
  • जन्माष्टमी: भाद्रपद माह की अष्टमी।
  • अन्नकूट: व्रत के अगले दिन, भोग वितरण।
  • होली: रंगों और भक्ति का मिलन।
  • जलझूलनी एकादशी: तीन दिवसीय मेला।

त्योहारों के समय मंदिर अत्यंत भीड़भाड़ वाला होता है, इसलिए योजना बनाकर जाएँ।

सांवरिया सेठ मंदिर कैसे पहुंचे

वायु मार्ग:

  • नज़दीकी हवाई अड्डा: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर
  • दिल्ली, मुंबई, जयपुर आदि शहरों से घरेलू उड़ानें उपलब्ध

रेल मार्ग:

  • चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन – लगभग 33 किमी
  • ऑटो या टैक्सी उपलब्ध

सड़क मार्ग:

  • निजी वाहन, बस या टैक्सी से पहुँच सकते हैं
  • उदयपुर से 80 किमी, चित्तौड़गढ़ से 33 किमी

पास के दर्शनीय स्थल

  • बस्सी वन्यजीव अभयारण्य – 30 किमी दूर
  • चित्तौड़गढ़ किला – 80 किमी
  • राणा कुंभा पैलेस – चित्तौड़गढ़ किला परिसर
  • मेनाल झरना – 60 किमी, प्राकृतिक सुंदरता

BookMyPoojaOnline के माध्यम से लाभ

  • ऑनलाइन पूजा बुकिंग – समय और पंडित के अनुसार।
  • पंडित जी ऑनलाइन बुक करें – बिना किसी upfront cost।
  • पूजा सामग्री (Samagri) बुकिंग – आसान और घर बैठे।
  • E-Puja सेवा – अगर आप व्यक्तिगत रूप से मंदिर नहीं जा सकते।

इससे आपका तीर्थयात्रा अनुभव सरल, व्यवस्थित और आध्यात्मिक रूप से संतोषजनक बन जाता है।

निष्कर्ष

सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भक्तों के जीवन में धन, सफलता और आशीर्वाद लाता है। चाहे आप व्यक्तिगत दर्शन करें या पूजा ऑनलाइन बुक करें, यह मंदिर आपके आध्यात्मिक अनुभव को समृद्ध करेगा।

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